Wednesday, March 25, 2020

असली और नकली प्रोडक्ट्स में होता है ये फर्क, इन 5 तरीकों से करें पहचान March 24, 2020 at 08:52PM

फैशन के इस दौर में हम सभी का झुकाव ज्यादातर स्टाइलिश और ब्रैंडेड चीजों की तरफ होता है। लेकिन कभी-कभार उनकी आसमान छूती कीमतों की वजह से हम उन्हें खरीद नहीं पाते। लेकिन वहीं जब ये सामान ऑनलाइन शॉपिंग में आधे से कम कीमतों पर मिलता है तो हम मन ही मन में खुश होकर सोचते हैं कि थैंक गॉड हम लूटने से बच गए। लेकिन शायद ही आप जानते हों कि असल मामले में आप बड़ी कीमत चुकाकर भी नकली प्रोडक्ट्स को अपने घर ले आए। जी हां, फैशन के मार्केट में ब्रैंड के नाम पर ठगे जाने के मौके और बढ़ जाते हैं। बड़े ब्रैंड्स के नकली प्रोडक्ट्स भी मार्केट में धड़ल्ले से बिकते हैं और ये इतनी सफाई से तैयार किए जाते हैं कि असली-नकली में फर्क समझना मुश्किल है। हालांकि आप चाहें तो ब्रैंड की कुछ खूबियां जानकर आप असली-नकली में आसानी से फर्क समझ सकती हैं। सिलाई पर दें ध्यान कोई भी बड़े से बड़ा ब्रैंड अपने शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है। आप किसी सस्ते कपड़े की सिलाई ले लें और उसी के विपरीत आप एक ब्रांड वाले कपड़े को देखें। आप दोनों में साफ तौर से अंतर देख पाएगी। किसी ब्रांडेड कपड़े की सिलाई न केवल क्लीनर दिखाई देगी, बल्कि सिलाई का हर टांका बराबर लंबाई का होता है और इसके बीच की दूरी भी बराबर होती है। वहीं, इसी वास्तविक डिजाइनर उत्पाद के नकली संस्करण की तुलना में प्रति वर्ग इंच अधिक टांके होंगे। जबकि नकली उत्पाद की सिलाई ढीली-ढाली होती है इसके टांके भी अलग-अलग साइज़ के होते हैं। ऐसे में यह बताता है कि लक्जरी वस्तुओं की कीमत क्यों अधिक है, क्योंकि वे अपने माल का उत्पादन करने के लिए अधिक सामग्री का उपयोग करते हैं। ( ये भी पढ़ें: ) लोगो (Logo) नकली सामान को असली चीजों में तब्दील करने की एक पहचान लोगो भी थी, लेकिन बदलते वक़्त ने इसको भी नहीं छोड़ा। आज बाजारों में धड़ल्ले से बड़ी-बड़ी कंपनियों के लोगो आपको यू हीं मिल जाएंगे। इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि लोगों को लोगो की नकल करने में बहुत मजा आता है। लेकिन आप चाहें तो एक छोटी सी तरकीब से इसका पता लगा सकती हैं। आपने शायद ही कभी गौर किया हो कि ब्रांड अपने लोगो को एक दो महीने में अपडेट करता रहता है। इसके अलावा, ब्रांडों के पास अपने उत्पादों पर धातु या चमड़े से बने अलग लोगो भी होते हैं। फैब्रिक (Fabric) इस बात को हमेशा याद रखें, अच्छे फैब्रिक के कारण है कि आपके सामानों की कीमत ज्यादा हैं। ब्रैंड जो चमड़े के उत्पाद बनाते हैं वे वास्तविक चमड़े का स्रोत होंगे और बटन और अन्य लहजे के लिए उच्च गुणवत्ता वाली धातु का उपयोग करेंगे। दूसरी ओर, एक नकली उत्पाद बनाने वाली कंपनी अशुद्ध चमड़े का उपयोग करेगा। इसके अलावा, असली चमड़े में थोड़ा असमान संरचना होगी, साथ ही साथ उसकी चमक में भी वो मजा नहीं आएगा। जितना आपको किसी बड़े शोरूम पर देखने को मिला था। इसी के विपरीत अच्छे डिज़ाइनर वाले ऑउटफिट्स की बात ही कुछ और होगी, वहीं बाजार में मौजूद उनकी सस्ती कॉपी में वो बता नहीं आती। ( ये भी पढ़ें: ) स्पेलिंग्स (Spellings) अगर आप इतनी सब वजहों के बाद भी असली और नकली सामान में फर्क नहीं कर पा रही हैं तो मोहतरमा आप फेक ब्रैंड्स के लोगों के ऊपर लिखी स्पेलिंग पर ध्यान दें। जी हां, वास्तव में कानूनी दांव-पेच से बचने के लिए नकली ब्रांड्स लोगो को थोड़ा-सा बदल देते हैं। इसलिए जब आप लोगो की जांच कर रहे हों और अंदर के लेबल को पढ़ रहे हों तो उस पर लिखी कुछ चीजों को सावधानीपूर्वक पढ़ें। उदाहरण के तौर पर आप ने Adidas का कोई जूता खरीदा, तो आप इसके लोगो को देखिए असल Adidas कुछ ऐसी स्पेलिंग में होगा वहीं नकली लोगो बुना हुआ (कढ़ाई किया), प्रिंट किया या बेस पर बना हुआ दिखेगा, ये अपने लोगो का स्टिच्ड स्टिकर या इस्तेमाल करके बनाते हैं। प्राइज (Prize) अधिकांश ब्रैंड अपने उत्पादों को अपनी कीमतों के साथ ऑनलाइन सूचीबद्ध करते हैं। इसलिए जो कोई भी आपको बता रहा है कि "यह छूट पर है" उस पर विश्वास न करें। डिजाइनर ब्रैंड अपने उत्पादों पर 75 प्रतिशत की छूट कभी नहीं देंगे। बड़ी से बड़ी कंपनी अपने सामान पर हद से हद 50 % की छूट देती है। इसलिए यदि कोई आपको ऐसा कुछ बता रहा है तो सावधान रहें। इसके अलावा, यह देखने के लिए कि क्या ब्रांड का लोगो है इसी जांच के साथ मूल्य टैग पर भी पानी नजर फिरा लें। यदि नहीं, तो यह एक नकली प्रोडक्ट है।

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